थोड़ा अपने थोड़ा अपनों के साथ
बिताने का समये.
कुछ खुद से कुछ दोस्तों से उलझ
जाने का समये
घर में बेठे नए और पुराने
शौक़ आज़माने का समये
पुरानी किताबों से धूल हटाने का समये
अलमारी के पीछे छुपी उन तस्वीरों
के संग कुछ पल बिताने का समये
बाहर की दुनिया से परे
अंदर की दुनिया में खो जाने का समये
हालात पर ना रोने का, बलकी
हर पल में जी जाने का समये
दीया है क़ुदरत ने जबरन ही सही
ये है एक जुट संभल जाने का समये
Leave a Reply